"अंत ही प्रारब्ध जब"
अंत ही प्रारब्ध जब , विनाश ही समर्थ है
त्वरित द्रवित भावना , प्राण में एकत्र है....
सुनो तुम ना बेवजह मुस्कुरा लिया करो ।
कोई बात परेशान करे तो बता दिया करो ।।
पुराने जख्मों को अच्छी यादें बना लो ।
और उन यादों को अपने दिल में कहीं छुपा लो ।।
जिंदगी को बेफिक्र बेधड़क और बेवकूफी से जियो ।
जरूरी नहीं की जिंदगी में हमेंशा ही सबकुछ सही हो ।।
खुद की गलतियों को भूल जाओ और दूसरों को माफ करो ।
भगवान् के हाथ में डोर देकर तुम उसपर पूर्ण विश्वास करो ।।
दुख-खुशी फिर जो भी मिले हँस कर तुम प्रसाद लो ।
और दुखों को खुद में समेट कर, खुशियां सबमें बाँट दो ।।
"In the quiet of night, stars whisper dreams to the moon, painting the sky with secrets untold."