Colorlib Template



"अब बस राधे द्वार खड़ा हूँ"

वेदांत दर्शन तो है सही ।
पर सुकून मुझको मिला नहीं ।।
वो ब्रह्म ज्ञान किस काम का ।
जब ब्रह्मा खुद को ना जनता।।

सब तर्क बुद्धि भूल कर ।
अहंकार नाश समूल कर ।।
वृंदावन रज मे लोट रहा हूँ ।
अब बस राधे द्वार खड़ा हूँ ।।

बुद्ध शंकर को त्याग कर ।
ज्ञान मार्ग से मैं हार कर ।।
भक्ति पथ पर निकल पड़ा हूँ ।
अब बस राधे द्वार खड़ा हूँ ।।

अब बस राधे द्वार खड़ा हूँ ।।


Add to Favorites

Discover

Related poems

"In the quiet of night, stars whisper dreams to the moon, painting the sky with secrets untold."