"अंत ही प्रारब्ध जब"
अंत ही प्रारब्ध जब , विनाश ही समर्थ है
त्वरित द्रवित भावना , प्राण में एकत्र है....
"Like a pebble dropped in a pond, let your words ripple through the silence, creating waves of reflection in the stillness of souls."
अंत ही प्रारब्ध जब , विनाश ही समर्थ है
त्वरित द्रवित भावना , प्राण में एकत्र है....
सुनो तुम ना बेवजह मुस्कुरा लिया करो
कोई बात परेशान करे तो बता दिया करो....
भस्म सर्प नग्न तन , जटा धार एकांत में
शिव ज्वलित आज भी , वैरागियों के वृत्तांत में....
अनंत को भी जीत कर महारथी कहा गए
इसी की आगोश में ही सभी यही समां गए