"अंत ही प्रारब्ध जब"
अंत ही प्रारब्ध जब , विनाश ही समर्थ है
त्वरित द्रवित भावना , प्राण में एकत्र है....
किसी अपने की यादें है।
मुँह चिढ़ाते सपने है।।
जिम्मेदारिओं का कुछ बोझ है।
बाप हो रहा बूढ़ा हर रोज है।।
फिर भी हम थके नहीं है।
मुश्किलों से डरे नहीं है।।
चुनौतियों के हर समंदर को करना पार है।
क्यूंकि घर में आज भी माँ को मेरा इंतज़ार है।।
"In the quiet of night, stars whisper dreams to the moon, painting the sky with secrets untold."