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"अनंत को भी जीत कर"

अनंत को भी जीत कर महारथी कहाँ गए ।
इसी की आगोश मे ही सभी वहीं समा गए ।।

अथाह विशाल ये गगन , धरा जल और पवन ।
तु तेरा अहंकार , कुछ नही तेरा ये मन ।।

ईश्वर तेरे विरुद्ध मैं, वेदों को नकारता ।
मोक्ष लक्ष्य है नही, मैं शून्यता पुकारता ।।

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